रवीश कुमार ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया पर भी निशाना साधते हुए उसकी तुलना पाकिस्तान के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रेगुलेटरी अथॉरिटी से कर दी है और सलाह दी है कि दोनों का दफ्तर एक ही बिल्डिंग में होना चाहिए।
देश में अभिव्यक्ति की पूर्ण स्वतंत्रता है लेकिन कुछ लोग इस स्वतंत्रता का दुरुपयोग करने में विश्वास रखते हैं। टुकड़े-टुकड़े गैंग के प्रमुख सदस्य कन्हैया कुमार हों, शेहला राशिद हों या सिर्फ एक पक्ष की आलोचना की पत्रकारिता करने वाले रवीश कुमार हों, इन सभी के वक्तव्य ना जाने क्यों भारत विरोध की सीमा भी पार कर जाते हैं। रवीश कुमार को एशिया का नोबेल समझे जाने वाला रैमॉन मैगसेसे पुरस्कार मिला जिसके लिए उन्हें देश ने बधाई दी लेकिन यह पुरस्कार लेने के लिए जब वह मनीला में आयोजित कार्यक्रम के मंच पर पहुँचे तो सिर्फ भारत विरोधी बातें ही उगलीं। अगर आप उनका पूरा भाषण सुनेंगे तो लगेगा कि यह कैसी पत्रकारिता है। जहाँ एक तरफ पूरा देश चंद्रयान-2 के पूर्ण रूप से कामयाब होने की दुआ कर रहा है, खुशियां मना रहा है तो रवीश कुमार चंद्रयान-2 मिशन पर तंज कस रहे हैं।